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शेरनी, जैसा कि हम जानते हैं, एक भयंकर, अभिमानी प्राणी है, और छोटे जानवरों को हमेशा दबाने की प्रवृत्ति रखती है। एक बार एक शेरनी जंगल में भाग रही थी, और तभी उसके पंजे में एक कांटा चुभ गया। क्योंकि शेरनी काफी अभिमानी थी तो उसने किसी से मदद न मांगने का फैसला किया। खून बहता जा रहा था, वह कमजोर हो रही थी।
इसकी मेहनत का परिणाम यह सुंदर घौसला हैं.
शिक्षा : बड़ा बनने के लिए अपने से आगे वाले की टांग खीचने की बजाय उनसे अधिक मेहनत कर आगे बढ़ो.
तब राधे गुप्त बोले ”बच्चों ! क्या आप अपने अंतर्मन से भी इस चोरी को छुपा सके?”
कुछ फैसला करने से पूर्व मेरे देरी से आने का कारण तो जान लीजिए. शेर गुराया- जो बोलना हैं, जल्दी बोल.
मंत्री ने सभी को हल कर दिया. राजा ने यह सोचकर कि इस राजा को हराना कठिन हैं अपनी सेनाएं हटा ली.
उस ज्वार के खेत का मालिक बेहद लोभी लालची किस्म का व्यक्ति था.
दोनों भाई इस बात पर राजी हो गये. तब महात्मा जी बोलर- मुझे बहुत जोरों की भूख लगी हैं पहले मुझे भोजन कराओं.
दूसरा व्यक्ति तत्काल चिल्ला उठा- महाराज यह बिलकुल झूठ बोल रहा हैं. यह भूमि इसके भाग में नही बल्कि मेरे भाग में आती हैं, इसलिए इसका असली मालिक मैं हूँ.
बाल कहानियों के इस लेख में आज हम “घोंसला” हिंदी कहानी आपके साथ शेयर कर रहे हैं. इस शोर्ट बर्ड स्टोरी को बच्चों के लिए प्रेरणा के लिए उन्हें सुना सकते है.
संत महात्मा तो स्वभाव से ही दयालु एवंम परोपकारी होते हैं. सदैव सबका ही भला चाहते हैं.
चमनपुर गाँव पहाडियों के बिच बसा हुआ हैं, गाँव से थोड़ी दूर पाठशाला थी.
ग्वाले ने कहा- ”मै तो नौकर हु, इससे अधिक देना मेरे हाथ की बात नही, लेनी हो तो एक बढ़िया गाय ले लो.
इस कथा से श्रीकृष्ण में एक परम विश्वस्त और उदार मित्र के दर्शन होते हैं.